बन कर नभ का राजदुलारा,
सुन्दर तारा प्यारा-प्यारा,
मैं अपलक होकर देखूँगा चमक-चमक तुम झलक दिखाना।
किसी समय सन्ध्या को आना।
सारे जग की लिए उदासी,
मैं जब जाऊँ बनवासी,
तुम विहंग बन कर फिर मुझको अपना प्यारा नाथ सुनाना।
किसी समय सन्ध्या को आना ।
सूरज नभ में डूब रहा हो,
चलने से मन ऊब रहा हो,
मेरी पर्ण-कुटी में आकर, पन्थी, एक रात रह जाना।
किसी समय सन्ध्या को आना ।
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