मैं तेरे पिंजरे का तोता, तू मेरे पिंजरे की मैना।
पर बात किसी से मत कहना।।
मैं तेरी आँखों में बन्दी
तू मेरी आँखों में प्रतिक्षण
मैं चलता तेरी साँस साँस
तू मेरे मानस की धड़कन
मैं तेरे तन का रत्नहार, तू मेरे जीवन का गहना।।
यह बात किसी से मत कहना।।
मैं तेरे सपनोँ का राजा
तू मेरे सपनों की रानी
इस जग से दूर बसा लेंगे
हम अपनी दुनिया दीवानी
अपनी इस सुन्दर दुनिया में, हमको है जीवन भर रहना।
पर बात किसी से मत कहना।।
हम युगल पखेरू हँस लेंगे
कुछ रो लेंगे कुछ गा लेंगे
हम बिना बात रूठेंगे भी
फिर हँस कर तभी मना लेंगे
अन्तर में उगते भावों के जलजात किसी से मत कहना।
यह बात किसी से मत कहना।।
क्या कहा! कि मैं तो कह दूँगी !
कह देगी तो पछ्तायेगी।
पगली इस पापी दुनिया में
बिन बात सताई जायेगी
पीकर प्रिय अपने नयनों की बरसात, विहँसति ही रहना।
पर बात किसी से मत कहना।।
मेरे पिंजरे का द्वार खुला,
जब उड़ना चाहो,उड़ जाना
स्वच्छंद कहाकार चल फिर कर
जब आना चाहो,आ जाना
पग पग पर बंधन पड़े हुए दुख पर दुख भी होगा सहना।
पर बात किसी से मत कहना।।
यह माना, जब तुम जाओगी
जीवन मेरा मिट जायेंगा
यह पागल प्राण पखेरू भी
ऊँची उड़ान उड़ जायेगा
पर दुख क्या, मेरे प्राणोँ ने युग युग से सीखा है दहना।।
यह बात किसी से मत कहना।।
हम युगों युगों के दो साथी
अब अलग अलग होने आये
कहना होगा तुम तो पत्थर
पर मेरे लोचन भर आयें
पगली, इस जग के अतल सिन्धु में अलग अलग हमको बहना।
पर बात किसी से मत कहना।।
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