कुछ अपनी बातें बतलाते,
कुछ मेरी बातें सुन जाते,
इतने विस्तृत नील गगन पर रहते हैं सब न्यारे-न्यारे।
अम्बर पर ये कितने तारे।
मैं अपनी कुटिया में जिस क्षण,
स्वयं बना अपने को बंधन,
रोता तब आश्वासन मुझको, देते हैं ये मेरे प्यारे ।
अम्बर पर ये कितने तारे।
मैं भी यदि तारा बन जाऊँ,
नील गगन पर खिल मुस्काऊँ,
कभी मिटूँ तो मुझे देखकर रो लेना, मेरे हत्यारे ।
अम्बर पर ये कितने तारे।
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