तभी मरूँगा पहले मुझे बताओ, मरघट में पहुँचाने कौन चलेगा ?

नील नलिन से प्यारे प्यारे
नयनों में ले आँसू खारे
शव के पीछे कौन चलेगा?
उमड़ाता फिर विश्व व्यथा रे
तब तक नहीं, चिता पर मुझको
रखना तुम सब ओ मतवालो।

जब तक यह न बता लो, चिता बनाने कौन चलेगा?
पहले मुझे बताओ, मरघट तक पहुँचाने कौन चलेगा ?

सुघड़ अंगुलियाँ किसकी, मेरी
चिता बनाएँगी चन्दन से
मरघट का सूनापन काँप
उठेगा फिर किसके क्रन्दन से
बार बार मेरे शव पर फिर
बेसुध होकर कौन गिरेगा ?

डगमग पग से, कम्पित कर से, आग लगाने कौन चलेगा ?
पहले मुझे बताओ, मरघट तक पहुँचाने कौन चलेगा ?

दुनिया किसको समझायेगी
इससे अब तेरा क्या नाता
मिट्टी का पुतला तो पगली,
आखिर मिट्टी में मिल जाता।
रोना, धोना, समझाना यह
तो सब कुछ होता रहता है

चिता किनारे, बोलो, अन्तिम दीप जलाने कौन चलेगा
पहले मुझे बताओ, मरघट तक पहुँचाने कौन चलेगा ?

क्या कहते हो? खुद ही जाना,
जाकर अपनी चिता बनाना
पहले दीप जलाना तब फिर
हँसते-हँसते आग लगाना
सब कर लूँगा किन्तु प्रश्न कुछ
फिर भी मेरे रह जाएँगे !
पागल बनकर, बोलो ! मेरी राख उड़ाने कौन चलेगा ?
पहले मुझे बताओ, मरघट तक पहुँचाने कौन चलेगा ?

कौन, बैठ जाएगा तब फिर
आकर मेरी चिता किनारे
दृग जल से फिर शांत करेगा
दहक रहे भीषण अंगारे
क्या निर्मम ! ममता के बंधन
इसी तरह तोड़े जाते हैं ?

भग्न हृदय से रो-रो कर मेरे फूल उठाने कौन चलेगा?
पहले मुझे बताओ, मरघट तक पहुँचाने कौन चलेगा ?

मेरे फूल बीनने वालो !
गंगा में मत इन्हें बहाना।
मैंने कभी न पाप किया है
और नहीं उसको पहिचाना
मेरी मर्म व्यथा को पगली-
गंगा नहीं समझ पायेगी

प्रेम नदी यमुना में मेरे फूल बहाने कौन चलेगा?
पहले मुझे बताओ, मरघट तक पहुँचाने कौन चलेगा ?

मेरी कविता कोकिल कंठों
का जब गायन बन जायेगी
मेरी याद किसी को तब फिर
सपनों तक में तड़पायेगी
अब तक तो अपने मादक स्वर
से, तुम सब को रहा रिझाता

तब समाधी पर मुझको मेरे गीत सुनाने कौन चलेगा?
पहले मुझे बताओ, मरघट तक पहुँचाने कौन चलेगा ?

——–