जीवन के अनुकूल कहूँ, या जीवन के विपरीत सुनोगे।
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

मैंने परखा है जीवन को, सीखा है तिल-तिल कर जलना,
कई बार जीवन के पथ पर अनायास ही पड़ा फिसलना,
पर फिर भी आगे बढ़ने को पाँव सदा तत्पर रहते हैं,
वर्तमान की बात कहूँ या बोलो! आज अतीत सुनोगे ?
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

पग-पग पर संघर्ष मुझे जीवन से करना पड़ा सदा ही
कई बार खुशहाली आई, कई बार फिर घनी तबाही
कई बार जीवन से ऊबा, कई बार चाहा जीवन को
तुम को अपनी हार सुनाऊँ तुमको, या तुम मेरी जीत सुनोगे?
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

उस दिन अनजाने में जीवन हाथ किसी के सौंप दिया था
एक भूल की थी जीवन में किसी निठुर से प्यार किया था
कभी-कभी पीड़ा से अब भी घाव पुराने जल उठते हैं
अपनी पीर सुनाऊँ तुमको, या तुम मेरी प्रीत सुनोगे?
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

एकाकीपन में कुछ मीठे  गीत बनाकर गा लेता हूँ
कई बार अब भी सूने में जी भर अश्रु बहा लेता हूँ
रोदन, गायन के स्वर से जीवन को बहलाता आया हूँ
आज रुदन सुनने आये हो, या मेरा संगीत सुनोगे ?
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

मुझे फँसाने को इस निष्ठुर दुनिया ने था जाल बिछाया
मैं मानवता का दीवाना धोखे से बन्धन में आया
आखिर फँसा, हाय ! मेरी किस्मत में यही लिखा था साथी-
किस्मत किन्तु बदल दी मैंने, एक दिवस तुम मीत सुनोगे?
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

एक अजब परिवर्तन अब तो आया है मेरे जीवन में
जिस  दुनिया ने आग लगा दी थी मेरे सुन्दर मधुवन में
वह दुनिया थर-थर काँपा करती है सुन मेरी हुंकारें –
जग जिन हुंकारों को सुनकर होता है भयभीत, सुनोगे?
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

आजादी को वर लेने की इच्छा से विद्रोह किया है
जो विद्रोही बन रहता है इस दुनिया में वही जिया है
यह सच है मैं असफलता के हाथों में पिसता आया हूँ
किन्तु, किसी दिन मीत सफलता मेरी आशातीत सुनोगे ?
बोलो कैसे गीत सुनोगे?

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