क्या लिखूं तुम ही बता दो,
वेदना मेरी हिला दो,
आज मेरे स्वप्न में आ, मीत, मुस्काते नहीं हैं।
भाव कुछ आते नहीं हैं।

शांति सी छाई निलय में,
स्तब्धता छाई हृदय में,
आज हूँ मैं मौन, लोचन अश्रु भर लाते नहीं हैं।
भाव कुछ आते नहीं हैं।

अंगुलियाँ चलतीं ठहर कर,
आज गायक आ यहाँ पर गीत कुछ गाते नहीं हैं।
भाव कुछ आते नहीं हैं।

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