मैं किसी का था तुम्हारा हो गया हूँ।

प्राण! तुम बीती हुई बातें न पूछो
लोचनों की स्निग्ध बरसातें न पूछो
मत करो मजबूर कहने को कहानी
मत जगाओ सुप्त हैं स्मृतियाँ पुरानी
मैं किसी के प्यार का पाहुन बना था
जिन्दगी थी मौन मैं कुछ अनमना था
मौन पाहुन, एक दिन पाहन गया बन-

पा तुम्हें फिर मधुर धारा हो गया हूँ।
मैं किसी का था तुम्हारा हो गया हूँ।।

तुम कहीं आकर न प्यासे लौट आओ
स्वयं रोवो और मुझको भी रुलाओ
मैं सदा चलता रहा सूनी डगर पर
लक्ष्य खोकर, लक्ष्य के विपरीत होकर
अब नहीं मैं और रोना चाहता हूँ
अब न अपना आप खोना चाहता हूँ
बन लहार मंझधार में रहता रहा हूँ-

पा किनारा, अब किनारा हो गया हूँ।
मैं किसी का था तुम्हारा हो गया हूँ।।

बन तुम्हारा, बहुत प्यारा हो गया हूँ
नील नभ चन्दन जड़ित मधुमास लाया
शुष्क अधरों पर तरलतम हास छाया
पूर्णिमा के सिन्धु में बहता रहा हूँ
मैं किसी का चाँद बन रहता रहा हूँ
यदि अमावस आ गयी तुम क्या करोगी
मैं रहूँगा दूर, तुम आहें भरोगी
तुम गगन की नीलिमा बनकर जियो प्रिय!
इसलिए मैं एक तारा हो गया हूँ।
मैं किसी का था तुम्हारा हो गया हूँ।।

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