मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।

जिन पर कभी यौवन आया, वे क्या जानें
दिल की धड़कन के गीत जलनमय मुस्कानें
है जीवन में गुंजार, मगर क्रन्दन भी है –
मैं भँवरे का उल्लास, नलिन के बहुत पास।
मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।।

मैंने शत-शत बन्धन तोड़े हैं जीवन में।
पर फिर भी बँधा हुआ हूँ अपने बंधन में।
करुणामय मानव उस दिन दानव से बोला-
मैं प्रेमी का भुजपाश, मिलन के बहुत पास।
मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।।

मैं आता हूँ जाने को, जाता आने को
जग के पथ पर कलियाँ, काँटे बिखराने को
कोयल की कुहक जवानी मेरे जीवन की –
मैं हूँ अल्हड़ मधुमास, चमन के बहुत पास।
मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।।

तब से जब से इस दुनिया का निर्माण हुआ
भगवान हमारी नजरों में पाषाण हुआ
पर दूर क्षितिज में हम फिर भी मिल लेते हैं
मैं तारोंमय आकाश, धरणि के बहुत पास।
मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।।
आगे कंचन मृग, पीछे अद्भुत बनवासी
थीं ऋद्धि सिद्धि परियाँ  जिन चरणों की दासी
मैंने उस प्रबल धनुर्धर को रोते देखा
मैं उस नियति नटी का हास, रुदन के बहुत पास।
मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।।

मेरे यह चपल चरण हिम शिखरों पर घूमे
मैंने इन अधरों से नभ के तारक चूमे
पर फिर भी ज्ञात नहीं क्या होगा जीवन में –
मैं मनु का स्निग्ध विकास, पतन के बहुत पास
मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।।

सागर मंथन कर यदि चाहूँ अमृत पीना
चाहूँ तो चीरूँ  मैं इस पर्वत का सीना
है किसमें इतनी क्षमता मुझको रोक सके –
मैं मानव का विश्वास, लगन के बहुत पास।
मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।।

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