मैं किसी एक का नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का।
मधुवन यदि एक कलि को ले, ले एक विहंगम के स्वर को,
मधुवन की मधुता घट जाए, मधुमास न आये क्षण भर को !
मधुवन का जीवन इसमें है, चाहे जितनी कलियाँ चटकें-
चाहे जितनी पंछी बोल, सौभाग्य यही है मधुवन का।।
मैं किसी एक नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का !
चिर यौवन का वरदान अगर मिल जाय अभागे मानव को
इससे बढ़कर अभिशाप नहीं मिल पायेगा जीवित शव को
यौवन तो बस दो क्षण का है, आये बन लहर चला जाए
हम उसको याद रहें करते सौभाग्य यही है यौवन का।।
मैं किसी एक नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का !
यदि चाँद सदा पूनम चाहे, चाहे जी भर कर उजियाली
तो उसकी इच्छा कौन करे, यदि रात न रह पाए काली
यदि दूज नहीं तो ईद नहीं, यदि ईद नहीं तो जीवन क्या
घटते बढ़ना, बढ़ते रहना, सौभाग्य यही है शशितन का।।
मैं किसी एक नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का !
यदि सरिता निज पथ पर मिलते, हर निर्झर को निज प्रिय न कहे,
चंचल, मदमस्त, सजल यौवन सचमुच सरिता में नहीं रहे,
सरिता तो तब तक सरिता है जब तक उसने अपने पथ के-
हर निर्झर का सत्कार किया, सत्कार किया मधु के क्षण का।
मैं किसी एक नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का !
हर रात रही मेरी अपनी, हर प्रात रहा मेरा अपना,
जब चाहा भाग्य मिटा डाला, जब चाहा उसको लिया बना,
पथ के विस्तृत वक्षस्थल पर, मेरे चरणों के चिन्ह बने
जीवन भर मस्ती में रहना- सौभाग्य यही मेरे मन का।।
मैं किसी एक नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का !
रवि आता ज्योति महान लिए, शशि आता मृदु मुस्कान लिए,
संध्या तारों के दीप लिए, उषा नैसर्गिक गान लिये,
अम्बर के सुन्दर आँगन में, बादल चलते, विद्युत खिलती
सौभाग्य यही जो अम्बर को वरदान मिला परिवर्तन का ।।
मैं किसी एक नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का !
मधुशाला यदि चाहे आयें, पीने वाले कुछ गिने चुने
मधुशाला खंडहर कहलायें, मधुबाला का दुख कौन सुने
मधुशाला मधुशाला ही क्या, यदि भीड़ न हो यदि शोर न हो
सौभाग्य यही मधुशाला का, जो साथ मिला पागलपन का ।।
मैं किसी एक नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का !
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