दुनिया की मणि-कंचन लाकर,
प्रिय की पूजा की गा-गाकर,
भिक्षुक ने सूनी झोली का सूनापन ही बिखरा डाला।
जीवन में सूनापन पाला।
कितनी धड़कन, कितना स्पन्दन,
कितना गायन, कितना रोदन,
इन सब को लेकर दहक उठी, प्रेयसि, मेरी अन्तर्ज्वाला।
जीवन में सूनापन पाला।
अन्तर्ज्वाला से पिघल पिघल,
उर आया इन गीतों में ढल,
है तुम्हे समर्पित, कल्पित प्रेयसि, अन्तर्गीतों की माला,
जीवन में सूनापन पाला।
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