मैं उन तारों का आराधक !

मैं उन तारों का आराधक, शोभित जिनसे आकाश रहेगा जीवनभर! जीवन की काली रातों के सूनेपन में, चलते हैं दृढ निश्चय लेकर अपने मन में, डगमग धरती, कम्पित अंबर, हिलते भूधर – मैं उन युवकों का हमजोली, जीवित जिनसे इतिहास रहेगा जीवनभर। मैं उन तारों का आराधक, शोभित जिनसे आकाश Read more…

जीवन क्या है ?

पुरवैया का झौंका आया, नील गगन पर द्वितीया का चन्दा मुसकाया, मैंने पुछा – “जीवन क्या है ?” हँसकर बोला — “पूनम के क्षण आना, बतलाऊँगा ! वक्षस्थल पर संघर्षों के घाव पड़े होंगे, सब दिखलाऊँगा ! यश औ’ कीर्ति सौंपते हैं जीवन को !” “पर प्रिय ! तुम तो Read more…