कविता संग्रह
हल्दी घाटी की साँझ
हल्दी घाटी की साँझ गुँजाती चली शब्द यह बार-बार। ओ नीला घोड़ा रा सवार, ओ नीला घोड़ा रा सवार। उस नीले घोड़े का सवार, राणा प्रताप योद्धा मानी हल्दी घाटी के महा समर का प्रबल प्रतापी सेनानी उसकी हुंकारों से नभ हिलता था, धरती शर्माती थी उसकी बाँहों की छाया Read more…