अंतर्गीत
आज दुखी मेरा जीवन है।
आग लगी मेरे नन्दन में, उथल पुथल होती है मन में, साथी साथ छोड़ भागे हैं जिनसे मुझको लगी लगन है। आज दुखी मेरा जीवन है। आज शुन्य मेरा मंदिर है, आज मूक मेरा मृदु उर है, आज नहीं वीणा में क्षण भर भी होता कम्पन है। आज दुखी मेरा Read more…