अंतर्गीत
खग चले क्षितिज की ओर, देख।
गाते जीवन का मधुर गीत, आ गया आज, कल गया बीत, इस मधु-बेला में महासिन्धु के बीच उठी हिल्लोर, देख। खग चले क्षितिज की ओर, देख। हो चले सभी बंदी तारक, चल दिया चाँद, यह सोच, आह रोता है आज चकोर, देख। खग चले क्षितिज की ओर, देख। यह एक Read more…