तभी मरूँगा

तभी मरूँगा पहले मुझे बताओ, मरघट में पहुँचाने कौन चलेगा ? नील नलिन से प्यारे प्यारे नयनों में ले आँसू खारे शव के पीछे कौन चलेगा? उमड़ाता फिर विश्व व्यथा रे तब तक नहीं, चिता पर मुझको रखना तुम सब ओ मतवालो। जब तक यह न बता लो, चिता बनाने Read more…

मैं यौवन का इतिहास

मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास। जिन पर कभी यौवन आया, वे क्या जानें दिल की धड़कन के गीत जलनमय मुस्कानें है जीवन में गुंजार, मगर क्रन्दन भी है – मैं भँवरे का उल्लास, नलिन के बहुत पास। मैं यौवन का इतिहास, जलन के बहुत पास।। मैंने शत-शत Read more…

भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ

जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ। ये उद्दाम तरंगे मुझसे कहती हैं, हम तेरा अस्तित्व मिटा कर छोड़ेंगी। मेरी लंबी बाहें मुझ से कहती हैं, इनसे डर कर नाव न अपनी मोड़ेंगी। तूफ़ानों का गर्जन-तर्जन सुन करके, आशावादी गीतों के स्वर रुँध जाते। Read more…

पहले कब थी जो अब होगी, इस दुनिया की परवाह मुझे

पहले कब थी जो अब होगी, इस दुनिया की परवाह मुझे ! मैंने जी भरकर गीत कहे, मैं जी भरकर खामोश रहा, जागृति की लहरों पर भी प्रिय! मैं जी भरकर बेहोश रहा, पथ की बाधाएँ कहती हैं – हम तुझे मिटाकर छोड़ेंगी- पर मुझको अपनी मस्तानी गति पर प्रतिक्षण Read more…

सौभाग्य

मैं किसी एक का नहीं बना, सौभाग्य यही है जीवन का। मधुवन यदि एक कलि को ले, ले एक विहंगम के स्वर को, मधुवन की मधुता घट जाए, मधुमास न आये क्षण भर को ! मधुवन का जीवन इसमें है, चाहे जितनी कलियाँ चटकें- चाहे जितनी पंछी बोल, सौभाग्य यही Read more…

बोलो कैसे गीत सुनोगे ?

जीवन के अनुकूल कहूँ, या जीवन के विपरीत सुनोगे। बोलो कैसे गीत सुनोगे? मैंने परखा है जीवन को, सीखा है तिल-तिल कर जलना, कई बार जीवन के पथ पर अनायास ही पड़ा फिसलना, पर फिर भी आगे बढ़ने को पाँव सदा तत्पर रहते हैं, वर्तमान की बात कहूँ या बोलो! Read more…

काश !

काश! कि मैं पत्थर ही होता! सुख-दुख सभी समेटे साथी, कभी न हँसता, कभी न रोता कोई विरह वियोगिन, मुझसे प्रियतम की उपमा दे जाती भक्तों की टोली पर टोली, मुझ पर फूल चढ़ाने आती सब वरदान माँगते, पर मैं अक्षय बेहोशी में सोता। काश! कि मैं पत्थर ही होता।। Read more…

मैं उन तारों का आराधक !

मैं उन तारों का आराधक, शोभित जिनसे आकाश रहेगा जीवनभर! जीवन की काली रातों के सूनेपन में, चलते हैं दृढ निश्चय लेकर अपने मन में, डगमग धरती, कम्पित अंबर, हिलते भूधर – मैं उन युवकों का हमजोली, जीवित जिनसे इतिहास रहेगा जीवनभर। मैं उन तारों का आराधक, शोभित जिनसे आकाश Read more…

जीवन क्या है ?

पुरवैया का झौंका आया, नील गगन पर द्वितीया का चन्दा मुसकाया, मैंने पुछा – “जीवन क्या है ?” हँसकर बोला — “पूनम के क्षण आना, बतलाऊँगा ! वक्षस्थल पर संघर्षों के घाव पड़े होंगे, सब दिखलाऊँगा ! यश औ’ कीर्ति सौंपते हैं जीवन को !” “पर प्रिय ! तुम तो Read more…

है जीवन का उत्कर्ष और अपकर्ष यहाँ !

मेरे अन्तर के गीत तुम्हें भायेंगे ही ! इन में जीवन की, सुख दुख की बातें भी हैं, इन में रोदन की, गायन की रातें भी हैं। इन में है विश्वास कि जिस की क्षमता पर, हँस हँस कर काट दिए जीवन के दुसह प्रहर। इन में मेरे जीवन की Read more…