कविता संग्रह
शक्ति है तुममें
शक्ति है तुममें मुझे अपना बनाने की मैं विहग, जिसने गगन की वीथियाँ घूमीं, बादलों में रह हठीली बिजलियाँ चूमीं, प्रलय भी देखि, प्रबल हिम–पात भी देखे— शक्ति है तुममें मुझे भू पर बुलाने की ! शक्ति है तुममें मुझे अपना बनाने की।। नीड़ में रहना मुझे बिलकुल नहीं भाया, Read more…