कविता संग्रह
एक दिन प्रिय पाहुना . . .
एक दिन प्रिय पाहुना आया तुम्हारे द्वार जा चुकी थी साँझ अपने देवता के देश दे चुकी थी, प्यार का प्रिय को मधुर संदेश राह रपटीली, अंधेरे से रही थी खेल– थकित पंथी कर रहा था पगों की मनुहार। एक दिन प्रिय पाहुना आया तुम्हारे द्वार।। तुम सलौने नीड़ में Read more…