अंतर्गीत
जीवन में सूनापन पाला
दुनिया की मणि-कंचन लाकर, प्रिय की पूजा की गा-गाकर, भिक्षुक ने सूनी झोली का सूनापन ही बिखरा डाला। जीवन में सूनापन पाला। कितनी धड़कन, कितना स्पन्दन, कितना गायन, कितना रोदन, इन सब को लेकर दहक उठी, प्रेयसि, मेरी अन्तर्ज्वाला। जीवन में सूनापन पाला। अन्तर्ज्वाला से पिघल पिघल, उर आया इन Read more…