एक दिन प्रिय पाहुना . . .

एक दिन प्रिय पाहुना आया तुम्हारे द्वार जा चुकी थी साँझ अपने देवता के देश दे चुकी थी, प्यार का प्रिय को मधुर संदेश राह रपटीली, अंधेरे से रही थी खेल– थकित पंथी कर रहा था पगों की मनुहार। एक दिन प्रिय पाहुना आया तुम्हारे द्वार।। तुम सलौने नीड़ में Read more…

उपेक्षा के शरों से बींध दो . . .

उपेक्षा के शरों से बींध दो उनको– सजनि ! कर व्यंग्य जिनका काम मुस्काना।। जवानी, साथ है फिर रूप, क्या कहने, पड़ेंगे विश्व के ताने हमें सहने, बिना माँगे कई उपनाम आयेंगे तुम्हे पगली, मुझे मदमस्त दीवाना सूरा तो व्यर्थ में बदनाम है रंगिनी ! जवानी का नशा उद्दाम है Read more…

मनुहार !

इस जगती में आकर मैंने मनुहार न करना सीखा है। तुम भला प्रेम को क्या जानो कोई प्रेमी हो पहिचाने कह साधक एक हमारा तू बन गए हृदय -धन मनमाने अभिमान भरा यह प्रेम यहाँ स्वीकार न करना सीखा है। इस जगती में आकर मैंने मनुहार न करना सीखा है।। Read more…

पर काट दिए अब कहती हो . . .

पर काट दिए अब कहती हो उड़ जा इस वन से दीवाने! पहले क्यों उड़ते पंछी पर सखि! जाल अनूपम डाला था फँस गया तुम्हारे फंदो में पंछी ही भोला था वह समझा था अमृत के कण पर वे निकले विष के दाने। पर काट दिए अब कहती हो उड़ Read more…

यह बात किसी से मत कहना . . .

मैं तेरे पिंजरे का तोता, तू मेरे पिंजरे की मैना। पर बात किसी से मत कहना।। मैं तेरी आँखों में बन्दी तू मेरी आँखों में प्रतिक्षण मैं चलता तेरी साँस साँस तू मेरे मानस की धड़कन मैं तेरे तन का रत्नहार, तू  मेरे जीवन का गहना।। यह बात किसी से Read more…

मैं किसी का था . . .

मैं किसी का था तुम्हारा हो गया हूँ। प्राण! तुम बीती हुई बातें न पूछो लोचनों की स्निग्ध बरसातें न पूछो मत करो मजबूर कहने को कहानी मत जगाओ सुप्त हैं स्मृतियाँ पुरानी मैं किसी के प्यार का पाहुन बना था जिन्दगी थी मौन मैं कुछ अनमना था मौन पाहुन, Read more…

पंख यदि होते खुले . . .

पंख यदि होते खुले मैं उड़ तुम्हारे पास आता देखता संसार में फिर कौन मुझको रोक पाता।।  क्या समझता मीत मैं संध्या उषा की लालिमा को चीर जाता मैं अमावस की भयावह कालिमा को रवि किरण जी भर जलाती, गगन की उत्तप्त छाती पर तुम्हारा प्यार मेरे पंथ को शीतल Read more…

जवानी!

मनहर पूनम की रात में, लख तारों की बारात में पूछा चंदा से-  बता, जवानी किसको कहते हैं ? सीने पर अगणित घाव हों फिर भी जीने के चाव हों मुझ से मस्तानी चाल हों गर्वोन्नत जिसका भाल हो सुख-दु:ख दोनों से प्यार हो संघर्ष गले का हार हो जो जग Read more…

छोटी-सी एक कहानी हूँ

मैं आशा और निराशा की चिर-संगिनि मस्त जवानी हूँ। छोटी-सी एक कहानी हूँ।। दो मधुर खिलौने ले करके मैं खेल रहा भोला मानव क्रीड़ा में मग्न नहीं सुनता जीवन का कोलाहल रौरव तन के बन्धन खुलते जाते, फिर भी करता मनमानी हूँ। छोटी-सी एक कहानी हूँ।। बढ़ना ही तो घट Read more…

मरघट

मरघट में जल रही चिता है, झुलस रहे अरमान किसी के लिए सहारा खड़ा हुआ हूँ, मैं मरघट के अक्षयवट का। इस तरु ने आँधियाँ हजारों, और सहा तूफानी झटका। जो जलते हैं वही बने थे, इस जग में महमान किसी के। मरघट में जल रही चिता है, झुलस रहे Read more…